Friday, November 21, 2008

पात्रता तथा उपलब्धता

आप क्या प्राप्त करते हैं ,यह महत्वपूर्ण नहीं है अपितु आप की पात्रता क्या है यह माने रखता है जो पात्र हैं उन्हें उसके अनुसार मिलना चाहिए .अतः पात्र बनने की कोशिश करनी होगी .औपचारिक विदया से पात्रता ही प्राप्त होती है कहा है ,"विद्दया ददाति विनयं विनयाद पात्रताम" फ़िर पता चला , पात्रता विनम्रता में है अतः विनयी बनो एक उदहारण --सागर सबसे विनयी है सो पृथ्वी पर जो सबसे नीचे जगह थी वहां जाकर बैठ गया और देखिये किस तरह सबसे संपन्न हो गया आप के मन में सवाल आता होगा ,नहीं हिमालय तो सबसे ऊँचा है ,नहीं मित्र ! हिमालय की सबसे ऊँची चोटियों पर सागर ही लहराता है वर्फ के रूप में नीचे भी उपर भी और बीच में भी " नीचे जल है ,उपर हिम है ,एक तरल है ,एक सघन एक तत्व की है प्रधानता "

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