Sunday, November 2, 2008

नाम-जप साधना

आत्मसाक्षात्कार के लिए कई कई साधन कहे गए हैं । ज्ञान का मार्ग सबसे कठिन है .ज्ञान का पंथ कृपान की धारा **और पुनः ,कहत कठिन समुझत कठिन साधत कठिन विवेक । कर्म का मार्ग राजा जनक का मार्ग है ,जोग भोग मह राखा गोई **। भक्ति का मार्ग साकार ईश्वर से प्रेम है ,स्वामी ,सखा ,प्रेमी ,प्रेमिका के रूप में । प्रेम का मार्ग भी कठिन ही है ,यह तो मारग प्रेम का खाला का घर नाहिं**.
सो कोई सरलतम मार्ग चाहिए ,खास कर कलयुग में । नम जप साधना यही मार्ग है । कोई नाम किसी देवता ,ईश्वर का , किसी धर्म में अथवा कोई छोटा सा मंत्र ,ईश्वर ,खुदा ,गाद ले लीजिये और उसे बार बार , बार बार दोहराइए --भाव कुभाव अनख आलसहूँ। नाम जपत मंगल दिसी दसहूँ **और उल्टा नाम जपत जग जाना। वाल्मिक भये ब्रह्म समाना॥ **नाम जप का न कोई नियम न समय न योग्यता न गुरु न गोसाईं न श्रद्धा न विश्वाश ,एक दम यांत्रिक । कर्म सिद्धांत के अनुसार फल मिलेगा । देवरहा बाबा कहते हैं ,राम का नाम लेते रहो तो जैसे दो लकडियों के रगड़ने से आग पैदा हो जाती है उसी प्रकार ईश्वर का साक्षात्कार हो जाएगा ,इसमे कोई संदेह नही है (विश्वाश की आवश्यकता नहीं है )
कबीर ,तुलसी ,सूर रजनीश ,गाँधी और महेश योगी अदि अन्य अन्य इस मत के साधक ,समर्थक और सफल सिद्धि प्राप्तकर्ता हुए हैं । आप भी अपनाकर देख लीजिये ,जितना काम उतना दाम । मन से बेमन से ,लीजिये एक नाम कोई भी अपने प्रभु का और हो जाइये निश्चिंत ।

1 comment:

Unknown said...

Sir, I am so glad to read these beautiful lines. Net is powerful and this is one of the instances which makes this belief even stronger. Reading these lines I felt like we are having one of those long conversations where you used to share your immense knowledge. In this rat race of life coming across these kind of literature is very soothing and helpful.

Thank you for finding some time and sharing your knowledge. Please keep doing that. I am sure I will not miss any of your topics.

bye
Shambhu